सवर्ण आर्मी का प्रदर्शन: मुरादाबाद में राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन, आरक्षण समाप्ति की मांग- abolition of reservation
मुरादाबाद, 2 नवंबर 2025 : abolition of reservation उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में आज सवर्ण आर्मी की मुरादाबाद इकाई ने एक विशाल प्रदर्शन का आयोजन किया। संगठन के कार्यकर्ताओं ने जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) कार्यालय पहुंचकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम एक ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन में सवर्ण समाज की लंबे समय से चली आ रही पीड़ाओं को दूर करने के लिए तीन प्रमुख मांगें रखी गई हैं।
पहली, जातिगत आरक्षण व्यवस्था को पूरी तरह समाप्त किया जाए। दूसरी, एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम (एससी/एसटी एक्ट) को रद्द किया जाए। तीसरी, सवर्ण समाज के हितों की रक्षा के लिए एक स्वतंत्र सवर्ण आयोग का गठन किया जाए।
यह प्रदर्शन न केवल सवर्ण आर्मी की मुरादाबाद टीम का प्रयास था, बल्कि पूरे सवर्ण समाज की एकजुटता का प्रतीक बन गया। हजारों की संख्या में कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे, जो हाथों में तख्तियां थामे नारेबाजी कर रहे थे।
नारों में ‘जातिगत आरक्षण हटाओ, सवर्ण समाज को न्याय दो’, ‘एससी/एसटी एक्ट का दुरुपयोग बंद करो’ और ‘सवर्ण आयोग बनाओ, अन्याय मिटाओ’ जैसे जयकारे गूंज रहे थे। प्रदर्शन की शुरुआत सुबह 10 बजे रामलीला मैदान से हुई, जहां से कार्यकर्ता जुलूस के रूप में डीएम कार्यालय की ओर बढ़े। रास्ते भर में स्थानीय निवासियों ने उनका स्वागत किया और कई ने अपनी सहमति जताई।
संगठन के प्रदेश सचिव नरेश चौहान ने संबोधित करते हुए कहा, “यह लड़ाई किसी एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि पूरे सवर्ण समाज की है। दशकों से सवर्ण वर्ग को उसके योग्यता के बावजूद अवसरों से वंचित रखा जा रहा है। जातिगत आरक्षण की यह व्यवस्था अब समाज को बांटने का हथियार बन चुकी है। हम राष्ट्रपति महोदया से अपील करते हैं कि वे इस ज्ञापन को गंभीरता से लें और केंद्र सरकार को निर्देश दें।” चौहान ने आगे बताया कि सवर्ण आर्मी ने पिछले दो वर्षों में उत्तर प्रदेश के 20 जिलों में इसी तरह के अभियान चलाए हैं, जिससे संगठन की सदस्य संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है।
मंडल अध्यक्ष गजराम सिंह ने प्रदर्शन के दौरान मंच से कहा, “एससी/एसटी एक्ट का दुरुपयोग आज सवर्ण समाज पर सबसे बड़ा खतरा बन गया है। निर्दोष सवर्ण युवाओं को फंसाया जा रहा है, उनकी जिंदगियां बर्बाद हो रही हैं। यह कानून समानता के सिद्धांतों के विरुद्ध है। हम इसे समाप्त करने तक चुप नहीं रहेंगे।” सिंह ने उदाहरण देते हुए बताया कि मुरादाबाद जिले में ही पिछले एक वर्ष में दर्जनों सवर्ण परिवार इस एक्ट के कारण प्रभावित हुए हैं।
उन्होंने सवर्ण समाज से एकजुट होने का आह्वान किया।जिलाध्यक्ष दुष्यंत कौशल ने ज्ञापन सौंपते समय डीएम को संबोधित करते हुए कहा, “यह ज्ञापन केवल कागज का टुकड़ा नहीं, बल्कि सवर्ण समाज की चीख है। सवर्ण आयोग का गठन न होने से हमारे समाज के आर्थिक, शैक्षिक और सामाजिक हितों की अनदेखी हो रही है। अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अनुसूचित जाति/जनजाति के लिए आयोग हैं, लेकिन सवर्णों के लिए क्यों नहीं? यह भेदभाव असंवैधानिक है।” कौशल ने बताया कि संगठन ने ज्ञापन की प्रति राज्यपाल और मुख्यमंत्री कार्यालय को भी भेजी है।
प्रदर्शन में जिला संयोजक रोहतास शर्मा की भूमिका सराहनीय रही। शर्मा ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा, “हमारा संघर्ष शांतिपूर्ण है, लेकिन दृढ़। सवर्ण समाज ने स्वतंत्र भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, लेकिन आज वही समाज हाशिए पर धकेला जा रहा है। सवर्ण आर्मी इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाएगी।” शर्मा ने युवा कार्यकर्ताओं को प्रेरित करते हुए कहा कि सोशल मीडिया के माध्यम से इस अभियान को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाया जाएगा।
जिला संगठन मंत्री पुनीत कुमार शर्मा ने बताया कि आज के प्रदर्शन में मुरादाबाद के सभी तहसीलों से कार्यकर्ता शामिल हुए। “हमने महिलाओं और युवाओं को विशेष रूप से प्रोत्साहित किया। सवर्ण समाज की बेटियां भी इस लड़ाई में आगे हैं।” पुनीत ने आंकड़े पेश करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में सवर्ण आबादी करीब 40 प्रतिशत है, लेकिन सरकारी नौकरियों और शिक्षा में उनका प्रतिनिधित्व न्यूनतम है। उन्होंने सवर्ण आयोग के गठन से होने वाले लाभों पर विस्तार से चर्चा की।
सचिव विष्णु भारद्वाज ने संगठन की रणनीति पर प्रकाश डाला। “हम केवल प्रदर्शन तक सीमित नहीं रहेंगे। अगले महीने दिल्ली में एक बड़ा धरना आयोजित किया जाएगा। इसके अलावा, सवर्ण आर्मी की ओर से एक जागरूकता अभियान शुरू हो रहा है, जिसमें गांव-गांव जाकर लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागृत किया जाएगा।” भारद्वाज ने सवर्ण समाज के ऐतिहासिक योगदान को याद दिलाया, जैसे कि स्वतंत्रता संग्राम में सवर्ण नेताओं की भूमिका।
उपाध्यक्ष अरुण सिंह ने भावुक होकर कहा, “मेरा अपना भतीजा एससी/एसटी एक्ट में फंस गया। निर्दोष साबित होने के बावजूद उसकी नौकरी चली गई। ऐसे हजारों केस हैं। यह अन्याय कब तक चलेगा?” सिंह की यह बात सुनकर कार्यकर्ताओं में जोश भर आया। राज कुमार गुप्ता, प्रियांशु जोशी, रजत शर्मा, वैभव शर्मा, यश भारद्वाज, अनुज ठाकुर और संजीव शर्मा जैसे वरिष्ठ सदस्यों ने भी मंच से अपनी बात रखी।
गुप्ता ने कहा, “आरक्षण की समाप्ति से ही सच्ची समानता आएगी। योग्यता पर आधारित भर्ती ही देश को मजबूत बनाएगी।”प्रदर्शन के दौरान सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रही। पुलिस ने शांतिपूर्ण तरीके से जुलूस को नियंत्रित किया। डीएम ने ज्ञापन प्राप्त करते हुए आश्वासन दिया कि इसे उच्च अधिकारियों तक पहुंचाया जाएगा। हालांकि, संगठन के नेताओं ने कहा कि यदि मांगें पूरी न हुईं तो आंदोलन तेज होगा।
सवर्ण आर्मी का इतिहास और वर्तमान संदर्भ
सवर्ण आर्मी का गठन 2018 में हुआ था, जब पटेल आरक्षण आंदोलन के दौरान गुजरात से शुरू होकर यह राष्ट्रीय स्तर पर फैल गया। उत्तर प्रदेश में यह संगठन तेजी से लोकप्रिय हुआ, खासकर 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद। सवर्ण समाज, जो ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और अन्य सवर्ण जातियों को मिलाकर बनता है, लंबे समय से अपनी पहचान और अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहा है।
1990 के मंडल आयोग के फैसले से ओबीसी आरक्षण लागू होने के बाद सवर्णों में असंतोष बढ़ा। 2006 में सवर्ण आरक्षण विधेयक का प्रस्ताव आया, लेकिन वह पारित नहीं हुआ।वर्तमान में, एससी/एसटी एक्ट के दुरुपयोग के मामले अदालतों में पहुंच रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में इस एक्ट में संशोधन किया था, लेकिन कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह पर्याप्त नहीं है।
सवर्ण आयोग की मांग 2019 से जोर पकड़ रही है। केंद्र सरकार ने 2023 में एक समिति गठित की थी, लेकिन उसकी रिपोर्ट अभी तक सार्वजनिक नहीं हुई। सवर्ण आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा, “हमारी मांगें संवैधानिक हैं। अनुच्छेद 14-16 समानता का अधिकार देते हैं।”प्रदर्शन का प्रभाव और भविष्य की योजनाएंआज के प्रदर्शन ने मुरादाबाद को सवर्ण आंदोलन का केंद्र बना दिया। स्थानीय मीडिया ने इसे प्रमुखता से कवर किया। सोशल मीडिया पर #SavarnArmyMoradabad और #EndCasteReservation जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे।
कार्यकर्ताओं ने वीडियो और फोटो शेयर कर राष्ट्रीय स्तर पर समर्थन मांगा।भविष्य में, सवर्ण आर्मी लखनऊ में एक राज्य स्तरीय सम्मेलन आयोजित करने की योजना बना रही है। जिला संयोजक रोहतास शर्मा ने बताया, “हम सवर्ण समाज के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए कौशल विकास कार्यक्रम शुरू करेंगे। साथ ही, कानूनी सहायता केंद्र खोले जाएंगे ताकि एससी/एसटी एक्ट के फर्जी केसों से प्रभावित परिवारों की मदद हो सके।”यह प्रदर्शन सवर्ण समाज के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।
यदि मांगें पूरी हुईं, तो यह सामाजिक न्याय की नई परिभाषा गढ़ेगा। अन्यथा, आंदोलन और तेज होगा। सवर्ण आर्मी के नेताओं का संदेश स्पष्ट है: “हमारा संघर्ष तब तक जारी रहेगा, जब तक न्याय न मिले।”संगठन के प्रमुख सदस्यों की भूमिकाप्रदेश सचिव नरेश चौहान: संगठन के रणनीतिकार, जिन्होंने प्रदर्शन की रूपरेखा तैयार की।मंडल अध्यक्ष गजराम सिंह: स्थानीय स्तर पर जुटाव का श्रेय इन्हें।
जिलाध्यक्ष दुष्यंत कौशल: ज्ञापन सौंपने वाले प्रमुख चेहरा।
जिला संयोजक रोहतास शर्मा: युवा कार्यकर्ताओं का नेतृत्व।जिला संगठन मंत्री पुनीत कुमार शर्मा: लॉजिस्टिक्स प्रबंधन।सचिव विष्णु भारद्वाज: प्रचार और मीडिया हैंडलिंग।उपाध्यक्ष अरुण सिंह: भावनात्मक अपील।अन्य: राज कुमार गुप्ता, प्रियांशु जोशी आदि ने विभिन्न विभागों का संचालन किया।यह घटना न केवल मुरादाबाद तक सीमित रही, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में सवर्ण समाज में उत्साह भर दिया। विशेषज्ञों का मानना है कि यह आंदोलन राजनीतिक दलों को भी सोचने पर मजबूर करेगा। अंत में, सवर्ण आर्मी का यह कदम समानता और न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
