Air Pollution: प्रदूषण के कारण हो रही है आंखों में जलन और चुभन?
राजधानी दिल्ली-एनसीआर में बीते कुछ हफ्तों से आसमान में धुंध है। हवा की खराब होती गुणवत्ता को लेकर सभी लोग परेशान हैं। सोमवार (3 नवंबर) को दिल्ली की वायु गुणवत्ता में भारी गिरावट आई और यह ‘बेहद खराब’ श्रेणी में पहुंच गया। सुबह करीब 7 बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 371 दर्ज किया गया। इस तरह की प्रदूषित हवा को स्वास्थ्य विशेषज्ञ सेहत के लिए कई प्रकार से नुकसानदायक मानते हैं।
गौरतलब है कि दिल्ली की हवा हर साल सर्दी के शुरुआती मौसम में प्रदूषित हो जाती है। हवा में मौजूद धूल, गाड़ियों और पराली का धुआं और औद्योगिक कचरे से निकलने वाले रसायन स्मॉग बनाते हैं जो सांस लेने तक में मुश्किल पैदा कर देता है।
आमतौर पर वायु प्रदूषण को फेफड़ों से संबंधित समस्याओं का कारण माना जाता है, पर इसके दुष्प्रभाव सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं हैं। वायु प्रदूषण फेफड़ों के साथ हृदय, मस्तिष्क सहित कई अंगों के लिए दिक्कतें बढ़ाने वाला हो सकता है।
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के बीच कई लोग आंखों में जलन-चुभन जैसी समस्याओं की शिकायत कर रहे हैं।
प्रदूषण के कारण बढ़ती आंखों की समस्याएं
नेत्र रोग विशेषज्ञों के अनुसार, जब प्रदूषित हवा में मौजूद सूक्ष्म कण पीएम2.5 आंखों में पहुंचते हैं तो इससे कॉर्निया में सूजन, जलन, खुजली और लालिमा जैसी दिक्कतें बढ़ने लगती हैं। लगातार प्रदूषण वाले वातावरण में रहने के कारण ड्राई आई सिंड्रोम और एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं। बच्चों और बुजुर्गों में यह दिक्कत और भी ज्यादा देखने को मिलती है क्योंकि उनकी आंखें ज्यादा संवेदनशील होती हैं।
अगर आपको भी ये समस्याएं हो रही हैं तो आइए जानते हैं कि इनसे कैसे बचाव किया जा सकता है?
प्रदूषण से आंखों को बचाएं
डॉक्टर कहते हैं, प्रदूषण से होने वाली आंखों की समस्याओं को हल्के में नहीं लेना चाहिए, लंबे समय तक इसका असर आपकी दृष्टि पर पड़ सकता है। हालांकि थोड़ी सी सावधानी बरतकर आप इस परेशानी से काफी हद तक कम भी कर सकते हैं।
- प्रदूषण के मौसम में आंखों को स्वस्थ रखने और जलन जैसी समस्या को कम करने के लिए दिन में 2-3 बार ठंडे या साफ पानी से आंखों को धोएं। इससे आंखों में जमा प्रदूषक कण साफ हो जाते हैं और ताजगी महसूस होती है। अगर आप बाहर से घर लौटे हैं तो तुरंत आंखों पर ठंडे पानी के छींटे मारें। इससे जलन और लालपन दोनों में राहत मिलेगी।
- प्रदूषण के कारण अगर आंखों में जलन-चुभन हो रही है तो आंखों को बार-बार रगड़ें नहीं, इससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। डॉक्टर की सलाह से आर्टिफिशियल टीयर्स या किसी ड्रॉप का इस्तेमाल कर सकते हैं ताकि आंखें नम बनी रहें और सूखापन न हो।
बाहर निकलते समय आंखों की सुरक्षा जरूरी
प्रदूषण वाले दिनों में घर से बाहर निकलते समय आंखों की सुरक्षा बहुत जरूरी है। हवा में मौजूद धूल, धुआं और माइक्रो-पार्टिकल्स सीधे आंखों में जाकर नुकसान पहुंचाते हैं। बाहर निकलते वक्त हमेशा सनग्लासेस पहनें। ये न सिर्फ धूप से बचाते हैं बल्कि प्रदूषण के कणों को आंखों तक पहुंचने से भी रोकते हैं।
इसके साथ ही मास्क लगाना भी जरूरी है, ये हवा में मौजूद जहरीले तत्वों को सांस के जरिए शरीर में जाने से रोकते हैं।
आंखों की सेहत का रखें ख्याल –
घर के अंदर का वातावरण भी रखें ठीक
प्रदूषण के कारण हवा में नमी कम हो जाती है जिससे आंखों में सूखापन और जलन बढ़ती है। इस समस्या से बचने के लिए घर के अंदर ह्यूमिडिफायर का इस्तेमाल करें। यह हवा में नमी बनाए रखता है और आंखों की नमी संतुलित रखता है। अगर आपके पास ह्यूमिडिफायर नहीं है, तो प्राकृतिक विकल्प के रूप में इनडोर पौधे जैसे एलोवेरा, स्पाइडर प्लांट, स्नेक प्लांट आदि लगा सकते हैं । ये पौधे हवा को शुद्ध करने और नमी बनाए रखने में मदद करते हैं।
स्क्रीन टाइम कम करें
वायु प्रदूषण के साथ अगर आप ज्यादा देर तक मोबाइल, लैपटॉप या टीवी स्क्रीन के सामने रहते हैं तो आंखों की परेशानी दोगुनी हो जाती है। लंबे समय तक स्क्रीन पर देखने से आंखें सूखने लगती हैं, जिससे जलन और दर्द बढ़ जाता है। इसलिए 20-20-20 रूल अपनाएं, इसमें हर 20 मिनट बाद 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर देखें। इससे आंखों की मांसपेशियों को आराम मिलता है।
—————————-
नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
अस्वीकरण: हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें
