Wednesday, November 12, 2025

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भाजपा हटाओ, सवर्ण बचाओ: शोषण का ढोंग और सवर्णों का अपमान

भारत की राजनीति में एक ऐसा दौर आ गया है जहाँ शोषित और वंचित के नाम पर सवर्णों के अधिकारों का खुला हनन हो रहा है। यह कोई संयोग नहीं, बल्कि एक सुनियोजित साजिश है। केंद्र में सत्तासीन भाजपा सरकार, जो खुद को ‘सबका साथ, सबका विकास’ का पैरोकार बताती है, वास्तव में सवर्ण समाज को ठगने का ठेकेदार बन चुकी है। देश के सर्वोच्च पदों पर जन्म लेकर भी जो लोग खुद को शोषित बताते हैं, वे सवर्णों के दुख-दर्द के ठेकेदार नहीं हैं। वे तो बस वोटों की राजनीति के लिए सवर्णों का खून चूस रहे हैं।

भाजपा का ढोंग उजागर करो, सवर्णों के अधिकार बहाल करो!

कैसे आरक्षण की आड़ में सवर्ण युवाओं के भविष्य को कुचला जा रहा है, कैसे आर्थिक नीतियाँ सवर्ण उद्यमियों को लूट रही हैं, और कैसे भाजपा की ‘हिंदुत्व’ की बातें महज एक दिखावा हैं जो सवर्णों को धोखा दे रही हैं.

शोषित-वंचित का ढोंग: एक राजनीतिक धोखा

भारतीय संविधान के निर्माताओं ने आरक्षण को एक अस्थायी उपाय के रूप में देखा था, ताकि सदियों के शोषण से पीड़ित वर्गों को मुख्यधारा में लाया जा सके। लेकिन भाजपा के शासनकाल में यह अस्थायी व्यवस्था एक स्थायी जहर बन चुकी है। 50% आरक्षण की सीमा को तोड़ते हुए, ओबीसी, एससी-एसटी के नाम पर 70-80% तक आरक्षण पहुँच गया है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले धूल चाट रहे हैं, और सवर्ण युवा सड़कों पर आंदोलन कर रहे हैं। याद कीजिए 2018 का पटेल आंदोलन। गुजरात के सवर्ण पटेल समाज ने आरक्षण के खिलाफ आवाज उठाई, लेकिन भाजपा ने उन्हें कुचल दिया। नतीजा? हार्दिक पटेल जैसे नेता आज भी संघर्षरत हैं। इसी तरह, मराठा आंदोलन में महाराष्ट्र के सवर्णों ने कहा – ‘हम शोषित नहीं, लेकिन वंचित हो रहे हैं।’ भाजपा ने क्या किया? दमन। और अब, 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद, मोदी सरकार ने फिर से ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) आरक्षण को कमजोर करने की कोशिश की।

सवर्ण गरीबों के लिए 10% आरक्षण का वादा किया, लेकिन व्यावहारिक रूप से इसे लागू ही नहीं किया। क्यों? क्योंकि सवर्णों को ‘सवर्ण’ ही रहना है – ठगने के लिए।

आरक्षण का जाल तोड़ो, सवर्णों का भविष्य जोड़ो! भाजपा हटाओ, सवर्ण बचाओ!

देश के सर्वोच्च पदों पर बैठे लोग – राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री – जो खुद को ‘चायवाले’ या ‘गरीब परिवार’ से बताते हैं, वे सवर्णों के दर्द को समझते ही नहीं। वे तो बस चुनावी भाषणों में ‘सबका साथ’ कहकर वोट बटोरते हैं। सवर्ण उद्यमी, जो अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, आज कर्ज के बोझ तले दबे हैं। जीएसटी, नोटबंदी – ये सब सवर्ण व्यापारियों को तबाह करने के हथियार बने।

सवर्णों के अधिकारों का हनन: आंकड़ों की मार

चलिए आंकड़ों पर नजर डालें। यूजीसी के अनुसार, केंद्रीय विश्वविद्यालयों में सवर्ण छात्रों का प्रवेश 20% से भी कम हो गया है। आईआईटी-आईआईएम जैसे संस्थानों में भी यही हाल। सवर्ण युवा, जो मेरिट पर टॉप करते हैं, उन्हें आरक्षण की दीवार से टकराना पड़ता है।

नेशनल सैंपल सर्वे (2023) बताता है कि सवर्ण बेरोजगारी दर 15% से ऊपर है, जबकि आरक्षण लाभार्थियों में यह 8% है। यह अन्याय नहीं तो क्या है?शिक्षा के अलावा, सरकारी नौकरियों में सवर्णों की हिस्सेदारी घटकर 12% रह गई है। सेना, पुलिस, प्रशासन – हर जगह सवर्ण अधिकारी घुटने टेक रहे हैं।

भाजपा की नीति साफ है: सवर्णों को ‘प्रिविलेज्ड’ बताकर उनके अधिकार छीनो, और वोट बैंक को मजबूत करो। एक उदाहरण लीजिए। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने ‘सवर्ण आयोग’ बनाने का वादा किया, लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ। इसके बजाय, उन्होंने ‘ओबीसी सर्वे’ कराकर सवर्णों को और अलग-थलग कर दिया। बिहार में नीतीश कुमार की तरह, भाजपा भी जातिगत जनगणना का समर्थन कर रही है – जो सवर्णों को हमेशा अल्पसंख्यक बना देगी।

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आर्थिक मोर्चे पर तो हाल और बुरा है। सवर्ण किसान, जो गेहूँ-चावल उगाते हैं, एमएसपी से वंचित हैं। कॉरपोरेट्स को सब्सिडी, लेकिन सवर्ण छोटे व्यापारियों को जीएसटी का चाबुक। 2022 के आंकड़ों के मुताबिक, सवर्ण मध्यम वर्ग की आय 20% घटी है, जबकि आरक्षण वर्ग की 15% बढ़ी। यह ‘विकास’ है? नहीं, यह लूट है।

भाजपा का हिंदुत्व: सवर्णों के लिए धोखा

भाजपा खुद को हिंदुत्व का पहरुआ बताती है, लेकिन सवर्ण हिंदुओं के साथ क्या कर रही है? राम मंदिर बन गया, लेकिन सवर्णों का घर टूट रहा है। अयोध्या में करोड़ों खर्च हुए, लेकिन सवर्ण बेरोजगारों के लिए एक स्किल सेंटर तक नहीं। ‘सबका विश्वास’ का नारा देकर, उन्होंने सवर्णों का विश्वास तोड़ा। रामदास आठवले जैसे नेता खुलेआम कहते हैं – ‘सवर्णों को आरक्षण की जरूरत नहीं।’ लेकिन वे भूल जाते हैं कि सवर्ण भी इंसान हैं, जिनके बच्चे सड़कों पर भूखे मर रहे हैं।

भाजपा की ‘एकात्म मानववाद’ की बातें किताबों में सीमित हैं; हकीकत में वे जातिवाद को बढ़ावा दे रही हैं। 2024 चुनावों में सवर्ण वोटों का ध्रुवीकरण हुआ। उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों ने भाजपा को ठुकराया, लेकिन सरकार ने बदले में ब्राह्मण नेताओं को हाशिए पर धकेल दिया। गुजरात में बनिया समाज असंतुष्ट है, लेकिन मोदी जी चुप। यह हिंदुत्व नहीं, सवर्ण-विरोधी राजनीति है।

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ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य: सवर्णों की उपेक्षा की जड़ें

भारतीय इतिहास में सवर्णों ने हमेशा समाज का नेतृत्व किया। वेदों से लेकर स्वतंत्रता संग्राम तक, ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य – इन्होंने संस्कृति, शासन और अर्थव्यवस्था को संभाला। लेकिन नेहरू युग से ही ‘सामाजिक न्याय’ के नाम पर सवर्णों की उपेक्षा शुरू हुई। इंदिरा गांधी ने इसे राजनीतिक हथियार बनाया, और अब मोदी-शाह की जोड़ी इसे चरम पर ले आई। मंडल कमीशन (1990) ने सवर्णों को झकझोर दिया।

तब वीपी सिंह की सरकार गिरी, लेकिन आज भाजपा उसी राह पर है। वे ‘सामाजिक न्याय’ कहकर सवर्णों को ‘अपराधी’ बना रहे हैं। सवर्णों को ‘प्रिविलेज्ड’ बताकर, वे उनके संघर्ष को नकार रहे हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि आज का सवर्ण युवा – चाहे ब्राह्मण हो या बनिया – गरीबी और बेरोजगारी से जूझ रहा है। एक सर्वे (सीएसओ, 2024) के अनुसार, सवर्ण परिवारों में 30% गरीबी रेखा से नीचे हैं। फिर भी, सरकारी योजनाएँ – जैसे पीएम आवास या उज्ज्वला – सवर्णों तक पहुँच ही नहीं पातीं। क्यों? क्योंकि वे ‘वंचित’ नहीं माने जाते। यह ढोंग है, खुला ढोंग।

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समाधान: सवर्ण एकता और राजनीतिक जागृति

अब सवाल है – क्या करें सवर्ण? चुप रहना आत्महत्या है। पहला कदम: एकजुटता। सवर्ण संगठनों को मजबूत करो – ब्राह्मण महासभा, क्षत्रिय महासंघ, वैश्य परिषद। इन्हें राजनीतिक मंच बनाओ। दूसरा, वोट की ताकत पहचानो। 2029 के चुनावों में सवर्ण वोट एकजुट होकर भाजपा को सत्ता से बेदखल करो। तीसरा, कानूनी लड़ाई। सुप्रीम कोर्ट में आरक्षण की 50% सीमा को सख्ती से लागू करवाओ। चौथा, आर्थिक स्वावलंबन।

सवर्ण उद्यमियों के लिए अलग कोऑपरेटिव बैंक बनाओ, जो बिना भेदभाव के लोन दें। पाँचवाँ, शिक्षा में निवेश। सवर्ण स्कूल-कॉलेज स्थापित करो, जहाँ मेरिट राज करे। भाजपा के विकल्प? कांग्रेस पुरानी गलतियों की दोहराती है, लेकिन क्षेत्रीय दल जैसे सपा-बसपा भी जातिवादी हैं। नया विकल्प चाहिए – एक सवर्ण-केंद्रित, राष्ट्रवादी पार्टी। ‘सवर्ण भारत पार्टी’ जैसा कुछ।

जागरण का समय

सवर्ण समाज, तुम्हारा समय आ गया है। शोषित-वंचित का ढोंग रचकर तुम्हारे अधिकारों का हनन हो रहा है। वे सर्वोच्च पदों पर पैदा हुए लोग तुम्हारे ठेकेदार नहीं। वे तो बस लुटेरे हैं। भाजपा हटाओ, सवर्ण बचाओ – यह नारा अब क्रांति का बिगुल है। सड़कों पर उतरो, सोशल मीडिया पर गूंजो, वोट से जवाब दो। सवर्णों का भारत फिर से चमकेगा, जब तुम जागोगे। यह ढोंग समाप्त करो, सत्य की विजय हो।

जय सवर्ण! जय भारत!

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