राबेंद्र कुमार पाण्डेय को विधि प्रकोष्ठ प्रदेश महासचिव की जिम्मेदारी
लखनऊ, 5 नवंबर 2025 (स्पेशल रिपोर्ट) – उत्तर प्रदेश में आम आदमी पार्टी (AAP) ने अपने संगठनात्मक ढांचे को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। प्रदेश प्रभारी एवं राज्यसभा सांसद संजय सिंह की स्वीकृति से, विधि प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट प्रखर श्रीवास्तव ने मंगलवार को पार्टी के विधि प्रकोष्ठ के नए पदाधिकारियों की घोषणा की।
यह पुनर्गठन न केवल पार्टी की कानूनी क्षमता को बढ़ाएगा, बल्कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में AAP की पैठ को भी गहरा करेगा। नए पदाधिकारियों में प्रयागराज से एडवोकेट राबेंद्र कुमार पाण्डेय को प्रदेश महासचिव और एडवोकेट कमल किशोर मिश्रा को प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया गया है, जबकि अन्य जिलों से सक्रिय वकीलों को जिला स्तर पर जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं। यह कदम पार्टी के ‘सेवा और न्याय’ के सिद्धांतों को मजबूत करने के लिए लिया गया है, खासकर जब राज्य में कानूनी और संवैधानिक मुद्दों पर बहस तेज हो रही है।आम आदमी पार्टी, जो दिल्ली और पंजाब में अपनी मजबूत उपस्थिति के लिए जानी जाती है, उत्तर प्रदेश में धीरे-धीरे अपनी जड़ें जमा रही है।
2022 के विधानसभा चुनावों में पार्टी ने राज्य की 403 सीटों पर से 12 पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन अब 2027 के चुनावों की तैयारी में संगठन विस्तार पर जोर दे रही है। विधि प्रकोष्ठ, जो पार्टी का कानूनी अंग है, यहां विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यह प्रकोष्ठ न केवल चुनावी विवादों, RTI मामलों और जनहित याचिकाओं को संभालता है, बल्कि कार्यकर्ताओं को कानूनी सलाह देकर संगठन को मजबूत बनाता है।
संजय सिंह, जो AAP के राष्ट्रीय प्रवक्ता के रूप में भी सक्रिय हैं, ने इस पुनर्गठन को “संगठन की मजबूती का प्रतीक” बताया। उन्होंने एक हालिया बयान में कहा, “उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य में न्याय की लड़ाई लड़ने के लिए मजबूत विधि प्रकोष्ठ जरूरी है। ये नए पदाधिकारी पार्टी के सिद्धांतों को जमीनी स्तर तक पहुंचाएंगे।”एडवोकेट प्रखर श्रीवास्तव, जो स्वयं विधि प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष और पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता हैं, ने घोषणा करते हुए कहा, “यह पुनर्गठन प्रदेश संगठन के विस्तार और मजबूती के क्रम में एक महत्वपूर्ण कदम है।
विधि प्रकोष्ठ न्याय और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। हमें पूरा विश्वास है कि नई टीम संगठन की रीढ़ बनकर पार्टी के सिद्धांतों को मजबूती से आगे बढ़ाएगी।” श्रीवास्तव की यह नियुक्ति अप्रैल 2025 में ही हुई थी, जब AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और संजय सिंह ने उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी थी। तब से वे प्रकोष्ठ को सक्रिय बनाने में लगे हुए हैं, जिसमें जागरूकता अभियान, कानूनी कार्यशालाएं और चुनावी तैयारी शामिल हैं।नए पदाधिकारियों की सूची में प्रयागराज के दो वकील प्रमुखता से उभरते हैं।
एडवोकेट राबेंद्र कुमार पाण्डेय, जो लंबे समय से AAP से जुड़े हैं, को प्रदेश महासचिव बनाया गया है। पाण्डेय ने प्रयागराज में कई RTI मामलों और किसान आंदोलनों में पार्टी का प्रतिनिधित्व किया है। उनकी नियुक्ति को संगठन के लिए “सशक्त कदम” माना जा रहा है, क्योंकि वे स्थानीय स्तर पर पार्टी की नीतियों को लागू करने में माहिर हैं। इसी तरह, एडवोकेट कमल किशोर मिश्रा को प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया गया है।
मिश्रा, जो प्रयागराज हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करते हैं, ने हाल ही में पार्टी के ‘मोहल्ला क्लिनिक’ मॉडल पर कानूनी सलाह दी थी। दोनों ही वकील लंबे समय से संगठन में सक्रिय हैं और आम आदमी पार्टी की नीतियों – जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य और भ्रष्टाचार मुक्ति – को जमीनी स्तर तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।अन्य नव-नियुक्त पदाधिकारियों में विविधता और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व का ध्यान रखा गया है।
लखनऊ से एडवोकेट मोहम्मद आसिम नगरामी को प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष बनाया गया है, जो मुस्लिम समुदाय से आते हैं और पार्टी की समावेशी छवि को मजबूत करेंगे। एडवोकेट मोहम्मद आसिफ खान को प्रदेश सचिव की जिम्मेदारी मिली है, जो लखनऊ में पार्टी के कानूनी मामलों को संभालेंगे। जिला स्तर पर, अलीगढ़ से एडवोकेट अशोक यादव को जिलाध्यक्ष, गोरखपुर से एडवोकेट अनिल गुप्ता को जिलाध्यक्ष, गोंडा से एडवोकेट शिवा राम शुक्ला को जिलाध्यक्ष और देवरिया से एडवोकेट संगम सिंह को जिलाध्यक्ष बनाया गया है।
ये सभी वकील स्थानीय मुद्दों – जैसे भूमि विवाद, पुलिस उत्पीड़न और चुनावी धांधली – पर काम कर चुके हैं।यह पुनर्गठन AAP की उत्तर प्रदेश इकाई के लिए एक रणनीतिक कदम है। राज्य में जहां भाजपा और सपा का वर्चस्व है, वहीं AAP शिक्षा और स्वास्थ्य पर आधारित अपनी दिल्ली मॉडल को यहां लागू करने की कोशिश कर रही है। विधि प्रकोष्ठ का मजबूत होना पार्टी को कानूनी चुनौतियों से निपटने में मदद करेगा, खासकर जब हाल ही में यूपी में कई RTI मामलों पर हाईकोर्ट में सुनवाई हो रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम 2027 विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी की छवि को “न्यायप्रिय” बनाने का प्रयास है। प्रोफेसर राम मनोहर लोहिया नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के एक विशेषज्ञ ने कहा, “AAP का विधि प्रकोष्ठ वकीलों का मजबूत नेटवर्क बनाकर विपक्षी दलों को चुनौती दे सकता है। प्रयागराज जैसे कानूनी केंद्रों से नेतृत्व लेना स्मार्ट रणनीति है।
“पार्टी के अंदरूनी स्रोतों के अनुसार, यह पुनर्गठन संजय सिंह की देखरेख में तैयार किया गया। सिंह, जो जेल से रिहा होने के बाद उत्तर प्रदेश पर फोकस कर रहे हैं, ने हाल ही में लखनऊ में एक बैठक में कहा था, “हमारा संगठन केवल चुनाव लड़ने के लिए नहीं, बल्कि जनता की सेवा के लिए है। विधि प्रकोष्ठ इस सेवा का कानूनी पहलू है।” उनकी स्वीकृति के बिना कोई बड़ा फैसला नहीं होता, जो AAP की केंद्रीकृत संरचना को दर्शाता है।नए पदाधिकारियों की प्रतिक्रियाएं उत्साहपूर्ण रही हैं।
एडवोकेट राबेंद्र कुमार पाण्डेय ने कहा, “यह मेरे लिए सम्मान है। मैं प्रयागराज से पूरे प्रदेश को जोड़ने का प्रयास करूंगा। पार्टी की ‘आपकी सरकार, आपका हक’ नीति को कानूनी रूप से मजबूत बनाना मेरा लक्ष्य है।” वहीं, एडवोकेट कमल किशोर मिश्रा ने बताया, “लंबे संघर्ष के बाद यह जिम्मेदारी मिली है। हम किसानों और मजदूरों के अधिकारों के लिए लड़ेंगे।” लखनऊ के एडवोकेट मोहम्मद आसिम नगरामी ने कहा, “मुस्लिम समुदाय में AAP की स्वीकार्यता बढ़ाने के लिए यह महत्वपूर्ण है।
हम संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करेंगे।”इस पुनर्गठन का असर जिला स्तर पर भी दिखेगा। अलीगढ़ में, जहां किसान आंदोलन सक्रिय है, एडवोकेट अशोक यादव भूमि सुधार मामलों पर फोकस करेंगे। गोरखपुर में एडवोकेट अनिल गुप्ता स्वास्थ्य सेवाओं पर कानूनी अभियान चलाएंगे, जबकि गोंडा और देवरिया में जिला अध्यक्ष स्थानीय विवादों को सुलझाने में लगेंगे। पार्टी ने इन पदाधिकारियों के लिए एक प्रशिक्षण शिविर की योजना बनाई है, जो दिसंबर में लखनऊ में होगा।
उत्तर प्रदेश की राजनीति में AAP का उदय एक नया अध्याय है। 2019 लोकसभा चुनावों में पार्टी ने राज्य में 100 से अधिक सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन अब संगठन पर जोर है। विधि प्रकोष्ठ का यह पुनर्गठन न केवल कानूनी क्षमता बढ़ाएगा, बल्कि पार्टी को युवा वकीलों को आकर्षित करने में मदद करेगा। विपक्षी दलों ने इसे “प्रचार स्टंट” कहा है, लेकिन AAP समर्थक इसे “जनता की जीत” मान रहे हैं।
एडवोकेट प्रखर श्रीवास्तव ने सभी को बधाई देते हुए कहा, “हमारी टीम न्याय की मशाल जलाए रखेगी।” यह पुनर्गठन AAP को उत्तर प्रदेश में एक मजबूत वैकल्पिक शक्ति के रूप में स्थापित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। भविष्य में यह प्रकोष्ठ कैसे राज्य की राजनीति को प्रभावित करता है, यह देखना रोचक होगा
