Wednesday, November 12, 2025

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त्योहारी सीजन में चमकी भारतीय इकोनॉमी, पेट्रोल खपत पहुंची अपने हाई लेवल पर

अक्टूबर के त्योहारी महीने में भारतीय इकोनॉमी में तेजी देखी गई है. इस दौरान शेयर मार्केट में निवेशकों ने करीब 19 लाख करोड़ रुपए लगाए. जिससे स्टॉक मार्केट में करीब 4.57 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई.

Indian economy growth: अक्टूबर के त्योहारी महीने में भारतीय इकोनॉमी में तेजी देखी गई है. एक ओर जहां पूरा भारत दिवाली की खुशियां मना रहा था, वहीं इस दौरान भारतीय इकोनॉमी भी चमक गई. भारतीय शेयर मार्केट में निवेशकों ने करीब 19 लाख करोड़ रुपए लगाए. जिससे स्टॉक मार्केट में करीब 4.57 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई.

साथ ही देश में पेट्रोल की खपत भी इस दौरान बढ़ गई. जिससे भारत सरकार की कमाई में इजाफा हुआ.  इस दौरान पेट्रोल की खपत पांच महीनें के अपने हाई लेवल पर पहुंच गई. हालांकि, डीजल की खपत स्थिर बनी रही. 

क्या कहता है डेटा?

तेल उद्योग के शुरुआती आंकड़ों से मिली जानकारी के अनुसार,  देश में अक्टूबर महीनें में पेट्रोल की खपत अपने 5 महीनों की उच्चतम स्तर पर पहुंच गई. अक्टूबर महीने में तेल की खपत पिछले साल की तुलना में 7 प्रतिशत बढ़कर 36.5 लाख टन के आंकड़े पर पहुंची.

पिछले साल पेट्रोल की बिक्री 34 लाख टन के करीब थी.  जिसका मतलब है कि, इस त्योहारी सीजन में लोगों ने खूब यात्रा की. जिससे पेट्रोल की मांग बढ़ गई. हालांकि, इस दौरान डीजल की मांग स्थिर बनी रही. फिर भी इसकी मांग में मामूली गिरावट दर्ज की गई. पिछले साल अक्टूबर महीने में यह 76.4 लाख टन थी तो वहीं, इस साल यह 76 लाख टन रही. 

LPG की डिमांड में रही तेजी

अक्टूबर महीने में रसोई गैस (एलपीजी) की बिक्री 5.4 प्रतिशत बढ़कर लगभग 30 लाख टन के आंकड़े पर पहुंच गई. जानकारों का मानना है कि, प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत 25 लाख नए कनेक्शन दिए गए है. जिससे घरेलू गैस की मांग में बढ़ोतरी हुई है. नए कनेक्शन से जुड़ने वालों लोगों की संख्या में भी तेजी आई है. जिससे एलपीजी की मांग तेज है. 

अप्रैल 2025 से शुरू हुए मौजूदा वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में ईंधन की खपत में तेजी देखने को मिली. इस दौरान पेट्रोल की खपत 6.8 प्रतिशत बढ़कर 2.48 करोड़ टन तक पहुंच गई. वहीं, डीजल की बिक्री में भी 2.45 प्रतिशत की उछाल दर्ज की गई और यह 5.33 करोड़ टन के आंकडे पर पहुंची. जबकि एलपीजी की खपत 7.2 प्रतिशत बढ़ी और यह 1.97 करोड़ टन रही.  इन आंकड़ों से साफ पता चलता है कि, देश में ऊर्जा की खपत लगातार बढ़ रही है. 

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