Tuesday, November 11, 2025

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लखनऊ में अखिल भारतीय पत्रकार एसोसिएशन के तत्वावधान में सात दिवसीय रामकथा का भव्य आगाज, कलश यात्रा से शुरू हुई धार्मिक उमंग

लखनऊ, 5 नवंबर 2025 : राम भक्ति की अमर परंपरा को जीवंत करने के उद्देश्य से अखिल भारतीय पत्रकार एसोसिएशन (एबीपीए) के दर्शन विभाग द्वारा लखनऊ में सात दिवसीय रामकथा का भव्य आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि पत्रकार बंधुओं की सामाजिक जिम्मेदारी को भी रेखांकित करता है। आज संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेंद्र मिश्रा, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष सोनिया मिश्रा, उत्तर प्रदेश प्रदेश अध्यक्ष तारकेश्वर पांडे, लखनऊ जिला अध्यक्ष संजय सक्सेना सहित अन्य पदाधिकारियों और सदस्यों ने संयुक्त रूप से कलश यात्रा का आयोजन किया। इस यात्रा के बाद प्रथम दिवस की रामकथा का शुभारंभ कथावाचक आचार्य मिथिलेश मिश्रा द्वारा किया जाएगा। यह आयोजन शहर के हृदय स्थल रामलीला मैदान में हो रहा है, जहां हजारों भक्तों की उपस्थिति से वातावरण भक्ति रस से सराबोर हो गया है।

अखिल भारतीय पत्रकार एसोसिएशन एक ऐसा संगठन है जो पत्रकारिता के माध्यम से समाज को जागरूक करने के साथ-साथ सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्यों को भी संरक्षित करने का प्रयास करता है। इस संगठन का दर्शन विभाग विशेष रूप से ऐसे आयोजनों के लिए जाना जाता है, जो रामायण जैसे महाकाव्यों के माध्यम से नैतिकता, धर्म और मानवता के संदेशों को जन-जन तक पहुंचाता है। राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेंद्र मिश्रा ने बताया कि यह रामकथा आयोजन पत्रकारों की व्यस्त दिनचर्या में भी आध्यात्मिक शांति का स्रोत बनेगा। “पत्रकारिता का पेशा हमें सत्य की खोज में लगाए रखता है, लेकिन रामकथा हमें सत्य के स्रोत भगवान राम से जोड़ती है। यह आयोजन हमारे सदस्यों को न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक एकता का भी संदेश देगा,” मिश्रा ने कहा।

आज सुबह 8 बजे कलश यात्रा का शुभारंभ रामलीला मैदान से हुआ। यात्रा में सैकड़ों महिलाओं ने कलशों को मंगल कलशों से सजाया, जिनमें गंगा जल भरकर मंगल गीत गाए गए। यात्रा शहर के प्रमुख मार्गों से गुजरी, जिसमें हजरतगंज, अमीनाबाद और विवियाना मॉल क्षेत्र शामिल थे। मार्ग भर में भक्तों ने पुष्प वर्षा की और ‘जय सियाराम’ के नारों से वातावरण गुंजायमान हो गया। राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष सोनिया मिश्रा, जो यात्रा की अगुवाई कर रही थीं, ने कहा, “रामकथा केवल कथा नहीं, बल्कि जीवन का दर्शन है। महिलाओं की भागीदारी से यह आयोजन और भी सशक्त हो जाता है। हमारा उद्देश्य है कि इस माध्यम से समाज में व्याप्त तनाव को कम किया जाए और राम के आदर्शों को अपनाया जाए।” सोनिया मिश्रा ने संगठन की महिलाओं को प्रोत्साहित करते हुए बताया कि यह यात्रा नारी शक्ति का प्रतीक भी है, जो रामायण की सीता माता की भक्ति से प्रेरित है।

प्रदेश अध्यक्ष तारकेश्वर पांडे ने कलश यात्रा के दौरान पत्रकारों से अपील की कि वे इस आयोजन को कवरेज देकर इसे राष्ट्रीय स्तर पर फैलाएं। “उत्तर प्रदेश जैसे सांस्कृतिक धनी राज्य में रामकथा का आयोजन एक मील का पत्थर है। हमारा संगठन पत्रकारिता के साथ-साथ सांस्कृतिक जागरण का भी माध्यम बनेगा,” पांडे ने कहा।

यात्रा में लखनऊ जिला अध्यक्ष संजय सक्सेना ने भी सक्रिय भूमिका निभाई। सक्सेना ने बताया कि जिला स्तर पर 200 से अधिक सदस्यों ने इस आयोजन में योगदान दिया है। “हमने स्थानीय स्तर पर स्कूलों और कॉलेजों से छात्र-छात्राओं को आमंत्रित किया है ताकि नई पीढ़ी राम के मूल्यों से परिचित हो सके,” उन्होंने जोड़ा।कलश यात्रा के समापन पर रामलीला मैदान में एक भव्य मंच सजाया गया था, जहां दीप प्रज्वलन के साथ रामकथा का प्रारंभिक संस्कार किया गया।

कथावाचक आचार्य मिथिलेश मिश्रा, जो रामायण के गहन ज्ञाता हैं, ने प्रथम दिवस की कथा का वर्णन किया। आचार्य मिश्रा ने बाल कांड से प्रारंभ करते हुए कहा, “रामकथा केवल एक कथा नहीं, बल्कि जीवन की यात्रा है। भगवान राम का जन्म, उनका बचपन और राजा दशरथ के प्रति उनकी भक्ति हमें सिखाती है कि कर्तव्य पालन ही सबसे बड़ा धर्म है।” उनकी वाणी इतनी मधुर और प्रभावशाली थी कि श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए। कथा के दौरान भजन-कीर्तन की धुनें गूंजीं, जिसमें स्थानीय कलाकारों ने राम भक्ति के गीत प्रस्तुत किए।यह सात दिवसीय रामकथा 5 नवंबर से 11 नवंबर तक चलेगी।

प्रत्येक दिन एक विशेष थीम पर आधारित होगी। प्रथम दिन बाल कांड, द्वितीय दिन अयोध्या कांड, तृतीय दिन अरण्य कांड, चतुर्थ दिन किष्किंधा कांड, पंचम दिन सुंदर कांड, षष्ठम दिन लंका कांड और सप्तम दिन उत्तर कांड का वर्णन होगा। आयोजन में विशेष रूप से रामचरितमानस का पाठ किया जाएगा, जो तुलसीदास जी की अमर रचना है। आचार्य मिथिलेश मिश्रा ने बताया कि कथा के अंत में एक महा आरती और प्रसाद वितरण का कार्यक्रम होगा, जिसमें सभी भक्तों को भाग लेने का अवसर मिलेगा।

इस आयोजन का महत्व केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी है। वर्तमान समय में जब समाज में तनाव, हिंसा और नैतिक पतन की खबरें प्रमुख हैं, रामकथा जैसे आयोजन एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं। अखिल भारतीय पत्रकार एसोसिएशन का यह प्रयास दर्शाता है कि पत्रकार केवल खबरें लिखने वाले नहीं, बल्कि समाज सुधारक भी हैं। संगठन के सदस्यों ने बताया कि इस आयोजन के लिए स्थानीय प्रशासन से पूर्ण सहयोग प्राप्त हो रहा है।

लखनऊ के मेयर और अन्य अधिकारियों ने भी कलश यात्रा में भाग लिया, जो आयोजन की व्यापकता को दर्शाता है।रामकथा की परंपरा भारत की सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न अंग है। रामायण महाकाव्य, जो वाल्मीकि द्वारा रचित है, न केवल धार्मिक ग्रंथ है बल्कि नैतिक शिक्षा का भंडार भी है। इसमें मर्यादा पुरुषोत्तम राम के जीवन के माध्यम से सत्य, अहिंसा, कर्तव्य और भक्ति के संदेश दिए गए हैं।

तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में इसे अवधी भाषा में प्रस्तुत कर जनमानस तक पहुंचाया। आज के संदर्भ में रामकथा का आयोजन विशेष रूप से प्रासंगिक है, क्योंकि युवा पीढ़ी को ये मूल्य सिखाने की आवश्यकता है। आयोजन में स्कूलों से आए छात्रों ने रामलीला का मंचन भी किया, जो दर्शकों को रोमांचित कर गया।आचार्य मिथिलेश मिश्रा का कथावाचन शैली अद्भुत है। वे न केवल कथा सुनाते हैं, बल्कि प्रत्येक प्रसंग को वर्तमान जीवन से जोड़ते हैं।

उदाहरणस्वरूप, आज के प्रथम दिन उन्होंने राजा दशरथ के पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ का वर्णन करते हुए कहा, “आज के युग में भी हमें अपने कर्तव्यों का पालन यज्ञ की तरह करना चाहिए। पत्रकारिता भी एक यज्ञ है, जिसमें सत्य की आहुति दी जाती है।” उनकी इस टिप्पणी पर श्रोताओं ने तालियां बजाईं। मिश्रा जी ने आगे बताया कि अगले दिनों में कथा के साथ-साथ रामलीला के दृश्य भी मंचित किए जाएंगे, जिसमें संगठन के सदस्य अभिनय करेंगे।संगठन की राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष सोनिया मिश्रा ने महिलाओं के सशक्तिकरण पर जोर देते हुए कहा, “रामायण में सीता माता की भूमिका हमें सिखाती है कि स्त्री शक्ति अटल और पवित्र होती है।

हमारा आयोजन महिलाओं को आगे लाने का माध्यम बनेगा।” उन्होंने बताया कि आयोजन के दौरान महिलाओं के लिए विशेष कार्यशालाएं भी आयोजित की जाएंगी, जहां रामायण के संदेशों पर आधारित सेमिनार होंगे। प्रदेश अध्यक्ष तारकेश्वर पांडे ने संगठन की विस्तार योजनाओं का जिक्र किया। “यह रामकथा लखनऊ तक सीमित नहीं रहेगी। हम इसे अन्य राज्यों में भी फैलाएंगे, ताकि पत्रकार समुदाय पूरे देश में एकजुट हो,” उन्होंने कहा।

लखनऊ जिला अध्यक्ष संजय सक्सेना ने आयोजन की लॉजिस्टिक्स का प्रबंधन संभाला है। उन्होंने बताया कि मैदान में अस्थायी पंडाल, ध्वनि प्रणाली और सुरक्षा व्यवस्था की पूरी तैयारी है। “हमने 10 हजार से अधिक श्रोताओं की क्षमता का पंडाल बनाया है। जल वितरण, चिकित्सा सुविधा और पार्किंग की भी व्यवस्था है,” सक्सेना ने कहा। आयोजन में स्थानीय व्यापारियों का भी सहयोग है, जो प्रसाद सामग्री प्रदान कर रहे हैं।

यह आयोजन पत्रकारिता जगत में एक नया आयाम जोड़ रहा है। सामान्यतः पत्रकार धार्मिक आयोजनों से दूर रहते हैं, लेकिन एबीपीए का यह कदम laudable है। राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेंद्र मिश्रा ने समापन पर कहा, “रामकथा हमें सिखाती है कि सत्य की विजय अंततः होती ही है। पत्रकारिता में भी यही सिद्धांत अपनाना चाहिए।” कलश यात्रा की सफलता से उत्साहित सदस्यों ने अगले दिनों के लिए विशेष तैयारियां तेज कर दी हैं।सात दिवसीय रामकथा का यह आयोजन न केवल लखनऊ बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश के लिए एक सांस्कृतिक उत्सव सिद्ध होगा।

भक्तों की भारी भीड़ और उत्साह से स्पष्ट है कि राम भक्ति की ज्योति अभी भी प्रज्वलित है। आचार्य मिथिलेश मिश्रा की कथा से प्राप्त होने वाले संदेश समाज को नई दिशा देंगे। संगठन के पदाधिकारियों ने सभी से अपील की है कि वे इस आयोजन में बढ़-चढ़कर भाग लें और राम के आदर्शों को अपने जीवन में उतारें।

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